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महाशिवरात्रि का महत्व : इस शिवरात्रि होगी महिमा अपार

MAHA SHIVRATRI: भगवान शिव की आराधना का पावन पर्व

परिचय

महाशिवरात्रि हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जिसे भगवान शिव की आराधना के लिए समर्पित किया जाता है। यह पर्व फाल्गुन माह की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है और इस दिन भक्तगण रात्रि जागरण, उपवास और शिवलिंग अभिषेक करके भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यह पर्व केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।

महाशिवरात्रि का महत्व

महाशिवरात्रि का अर्थ होता है ‘शिव की महान रात्रि’। इस दिन को भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की वर्षगांठ के रूप में भी मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह वह रात्रि है जब शिवजी ने तांडव नृत्य किया था, जो सृष्टि के निर्माण, संरक्षण और संहार का प्रतीक है। शिवपुराण के अनुसार, इस दिन शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद, बेलपत्र और धतूरा चढ़ाने से शिवजी प्रसन्न होते हैं और भक्तों को मनोवांछित फल प्रदान करते हैं।

https://www.aajtak.in/religion/news/story/mahashivratri-2025-bhadra-kaal-timing-jal-chadhane-ka-shubh-muhurt-puja-vidhi-of-lord-shiva-tvisu-dskc-2173505-2025-02-25

महाशिवरात्रि की पौराणिक कथाएं

महाशिवरात्रि से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें से प्रमुख हैं:

1. शिव-पार्वती विवाह कथा

पौराणिक मान्यता के अनुसार, माता पार्वती ने कठोर तपस्या करके भगवान शिव को प्रसन्न किया था और महाशिवरात्रि के दिन उनका विवाह संपन्न हुआ था। इसलिए इस दिन को विशेष रूप से स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना के लिए उपवास रखती हैं।

2. समुद्र मंथन और हलाहल पान

एक अन्य कथा के अनुसार, जब देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया, तब समुद्र से निकले हलाहल विष से पूरी सृष्टि संकट में पड़ गई थी। तब भगवान शिव ने इस विष को अपने कंठ में धारण कर लिया और नीलकंठ कहलाए। यह घटना महाशिवरात्रि के दिन घटित हुई थी, इसलिए इस दिन शिवजी की विशेष पूजा की जाती है।

महाशिवरात्रि व्रत एवं पूजन विधि

महाशिवरात्रि पर भक्तजन उपवास रखते हैं और विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं। व्रत रखने की विधि इस प्रकार है:

  1. स्नान और संकल्प:
    प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और शिवजी की पूजा का संकल्प लें।

  2. शिवलिंग अभिषेक:
    शिवलिंग पर जल, दूध, शहद, बेलपत्र, धतूरा, भांग और चंदन अर्पित करें।

  3. रात्रि जागरण:
    भक्तजन रातभर जागकर ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप करते हैं और शिव कथा सुनते हैं।

  4. व्रत पारण:
    अगले दिन प्रातः पूजा के बाद व्रत का पारण किया जाता है।

महाशिवरात्रि पर शिव मंत्रों का महत्व

महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न मंत्रों का जाप किया जाता है, जैसे:

  • महामृत्युंजय मंत्र:
    “ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
    उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥”

  • शिव पंचाक्षर मंत्र:
    “ॐ नमः शिवाय”

महाशिवरात्रि और ज्योतिषीय महत्व

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन चंद्रमा अपनी नीच अवस्था में होता है, लेकिन भगवान शिव की उपासना से इसका प्रभाव सकारात्मक हो जाता है। इस दिन की गई पूजा विशेष फलदायी होती है और सभी प्रकार के दोषों को दूर करने में सहायक मानी जाती है।

भारत में महाशिवरात्रि उत्सव

महाशिवरात्रि पूरे भारत में धूमधाम से मनाई जाती है। कुछ प्रसिद्ध मंदिर जहां इस दिन विशेष पूजा होती है:

  • काशी विश्वनाथ मंदिर (वाराणसी)
  • सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (गुजरात)
  • महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (उज्जैन)
  • बैद्यनाथ धाम (झारखंड)

महाशिवरात्रि का आध्यात्मिक संदेश

यह पर्व आत्मसंयम, भक्ति और साधना का प्रतीक है। यह हमें यह सिखाता है कि यदि हम अपने अंदर की नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करके सकारात्मकता अपनाते हैं, तो हम भी अपने जीवन में उन्नति कर सकते हैं।

निष्कर्ष

महाशिवरात्रि केवल एक पर्व नहीं, बल्कि आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का एक अवसर है। भगवान शिव की आराधना से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उसके सभी कष्ट दूर होते हैं। इस पावन अवसर पर हमें भगवान शिव के आदर्शों को अपनाकर अपने जीवन को सार्थक बनाना चाहिए।

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